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अमावस्या दोष शांती



योग :

  • त्रिक प्रसूति :  तिन पुत्रों के बाद कन्या या तिन कन्याओं के बाद पुत्र होना| शांती करना आवश्यक है|

  • रुदंत जन्म :  दातों के साथ जन्म होना या २,३,४,५,६ या ८ वे मास में दातं आना| इसके लिए रुदंत जनन शांती आवश्यक है|

  • विपरीत जन्म :  चित्रविचित्र अवयवों के साथ जन्म होना| प्रसव वैकृत शांती आवश्यक है|

  • ग्रहण शांती:  ग्रहणपर्व काल में जन्म होना| गोमुख प्रसव शांती , ग्रहमखा के साथ आवश्यक है|

  • ग्रहण वेध:  वेधकाल में जन्म होना| रुद्राभिषेक आवश्यक है|

  • सूर्यसंक्रांति(संक्रमण):  नवग्रहों के साथ गोमुख प्रसव शांती ,संक्रमण काल संक्रांति के पहले और बाद के ६ घंटो का होता है|

  • करिदीन:  ग्रहण करिदिन, कर्क मकर संक्रांत, भाऊका अमावस्या , हुताशनि पौर्णिमा का करिदिन, प्रेत दहन का २रा दिन होना| रुद्राभिषेक आवश्यक है|

  • एक नक्षत्र :  कन्या या पुत्र का माता या पिता के नक्षत्र में जन्म होना या बेहेन - भाई का एकही नक्षत्र होना| एक नक्षत्र शांती आवश्यक है|

  • पंचग्रही:  जन्म के समय पांच या अधिक ग्रह एकही राशीमें होना|शांती आवश्यक है|