तिथि- कृष्णचतुर्दशी,अमावस्या, क्षयतिथि, नक्षत्र – अश्विनी के पहले ४८ मिनट, पुष्य का दूसरा और तीसरा चरण, आश्लेषा पूरा, मघा प्रथम चरण, उत्तरा का प्रथम चरण, चित्रा का पूर्वार्ध, विशाखा का चतुर्थ चरण, जेष्ठा पूरा, मूल पूरा, पूर्वाषाढ का तिसरा चरण, रेवती के आखरी ४८ मिनट, योग – वैधृति, व्यतीपात, भद्रा (विष्टि), ग्रहणपर्वकाल, यमल यानी जुड़वा, सदंत जन्म, अधोमुखजन्म, माता, पिता, भाई, बेहेन इनमें से किसी एक के जन्म नक्षत्रपर जन्म होना, तिन लड़कियों के बाद लडके का जन्म या तिन लड़कों के बाद लड़की का जन्म, सूर्य संक्रमण पुण्यकाल, दग्ध, यमघंट, मृत्युयोग इनमें से कारण होगा तो शांती आवश्यक है|