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वास्तु शांती


वास्तु का अर्थ मनुष्यों और देवताओं का निवास होता है| वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है| वास्तु शास्त्र ब्रह्मांड के तत्वों द्वारा दिये गये लाभ मिलने में ये मदद करता है| ये बुनियादी तत्व आकाश (आकाश), पृथ्वी (धरती), पानी (जल), अग्नि (आग) और वायु (पवन) के रूप में हैं। इस पूजा मे प्रवेश द्वार पर तोरण किया जाना चाहिए और एक शुभ वृक्ष का रोपण किया जाना चाहिए।उसके बाद पुन: गृह प्रवेश किया जाता है और फिर अग्नि और घर की शुद्धि कि जाती है| उसके बाद पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ प्रार्थना करके हवन किया जाता है। हवन विशेष रूप से घर की दिशा के अनुसार किया जाना चाहिए। इस प्रकार देवता को पूजा जाता है जिससे आशीर्वाद प्राप्त होता है|

वास्तु शान्ति का प्राथमिक उद्देश्त:

  • किसी भी भूमि, संरचना, और आंतरिक व्यवस्था के दोष या वास्तु दोषों को दूर करने के लिए।

  • घर का निर्माण करते समय प्रकृति, अन्य प्राणियों को किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नुकसान की माफी माँगने के लिए, भावी रहने वालों के समग्र सुख में खलल न पड़ेने के लिए|

  • वास्तु पुरुष को प्राकृतिक विपदाओं से, घर और रहने वालों की रक्षा करने के लिए अनुरोध करने के लिए।

  • रहने वालों के स्वास्थ्य, धन और समृद्धि लाने के लिए उनका आशीर्वाद की विनती करने के लिए।

  • घर का समुचित उपयोग करने के लिए किया जाता है|