पंचांगों के पांच अंग : तिथी , वार, नक्षत्र, योग, और करण ये मिलके पंचांग की निर्मिती होती है|
योगों की कुल संख्या २७ है| परंतु निचे दिये हुए योग में किसी जातक का जन्म होता है तो उसे दोष लगता है| इसका परिणाम उसके जीवन में अनेक प्रकार से होता है|
- विश्वकुंभ
- अतिगंड
- शुल
- गंड
- व्याघात
- वज्र
- व्यतीपात
- परिघ
- ऐंद्र
- वैधृति
इन स्थितियों में शांती पूजा विधी आवश्यक होती है|